ट्यूबवेल रिचार्ज करने की विधि
इस सरल तकनीक द्वारा बरसात के फालतू बह जाने वाले पानी को
टॅयूबवेल के पास बनाये गये फिल्टर के माध्यम से शुद्ध करके भू-जल में मिलाया जाता है।
· टॅयूबवेल के केसिंग पाईप के चारों तरफ ५ फीट गोलाई का १०
फीट गहरा गड्ढ़ा खोदा जाता है।
· इसमें 5 फीट गहराई तक
केसिंग पाईप के चारों तरफ 5 से
10 से.मी. के अंतर से 8 से 10 मि.मी. साईज के छेद किये जाते हैं।
· छिद्रित केसिंग पाईप (लगभग 5 फीट लंबे) पर निचे से ऊपर की ओर नायलान की जाली लपेट दी जाती है
तथा इसके ऊपर नारियल की रस्सी गोल-गोल घुमाते हुए कसकर बांध दी जाती है।
· अब गड्ढ़े में प्रथम एक मीटर तक (नीचे से) 40 मि.मी. साईज की गिट्टी एवं उसके ऊपर एक मीटर के हिस्से में
मोटी रेत तथा इसके ऊपर नायलान की जली रख दी जाती है इसके बाद ऊपर से 2 फीट खाली छोड़कर बालू रेती भरी जाती है। ताकि पानी फिल्टर होकर
नीचे जाये।
· सबसे ऊपर गड्ढ़े को 2 फीट खाली छोड़ दिया जाता है ताकि बरसात का पानी इसमें भरकर रिस सके।
· इसके बाद खेत के पानी को इस ट्यूबवेल की ओर मोड़ दिया जाता
है।
· यदि आपके पास कुआं है तो आप कुये का पानी भी मोटर पंप की सहायता
से इसमें भर सकते है
· रेत गिट्टी से छनकर शुद्ध पानी नलकूल में जाता है। पूरी
बरसात में पानी जमीन के भीतर एकत्र रहता है तथा ट्यूबवेल का जलस्तर बढ़ जाता है।
· इकट्ठे हुए पानी से ट्यूबवेल जिंदा हो जाता है।
aaj hum logo ne inspection kiya tubel ka from success step in rain water harvesting
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